इस समय पूरी दुनियां में जिस बात की सबसे अधिक चर्चा है वो है जम्मू-कश्मीर। जिस तरह से भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 ख़त्म करने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में दो अलग-अलग राज्यों का निर्माण किया है वो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। अब जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा भी खत्म हो गया। वहीं, मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने का ऐलान भी किया है जिसके अनुसार जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा। लद्दाख में कोई भी विधानसभा नहीं होगी जबकि जम्मू कश्मीर में अपनी विधानसभा भी होगी।
धारा-370 को हटाने जैसा बड़ा और कड़ा निर्णय लेना बिलकुल भी आसान नहीं था। उसके सामने बड़े पैमाने पर सुरक्षा इंतजाम करते हुए इस प्लान को सिक्रेट रखने की भी सबसे बड़ी चुनौती थी। और इस पूरे मामले की जानकारी पूरे देश में बस कुछ मुट्ठीभर लोगों को ही थी जिसमें तीन नाम अकेले उत्तराखंड से ही हैं जो अपने आप में पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व की बात भी है।
इस कड़ी में सबसे पहले जो नाम आता है वो है भारत के जेम्स बांड कहे जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का जिनपर जिम्मेदारी थी सुरक्षा को लेकर अचूक रणनीति बनाने की रही। उन्होंने कश्मीर जाकर टॉप ऑफिसरों की मीटिंग भी ली। वहां के सुरक्षा हालात का जायजा लिया और आगे की रणनीति स्पष्ट कर दी थी। अब जब आर्टिकल 370 हटाने का फैसला हो चुका है तो वह घाटी में शांति सुनिश्चित करने में जुटे हैं। वह इस समय भी जम्मू-कश्मीर में ही हैं।
पिछले एक हफ्ते के अन्दर लगभग 40 हजार सैनिकों को जम्मू कश्मीर ले जाया जा रहा था तो जाहिर है इस पूरे प्लान में थल सेना के अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत पहले से ही मौजूद थे। सुरक्षा की दृष्टि से इतने बड़े फैसले लेने थे तो आर्मी चीफ को पहले से ही पल-पल की जानकारी थी। उन पर कश्मीर में अलगाववादियों, नेताओं से लेकर आम जनता तक को नियंत्रित रखने की जिम्मेदारी थी।
इसके बाद नाम आता है भारत की खुपिया इंटेलीजेंस रॉ का क्यूंकि पाकिस्तान खुद को कश्मीर मसले का पक्षकार बताता रहा है। यह मामला संयुक्त राष्ट्र में भी पहुंचा हुआ है। ऐसे में आर्टिकल 370 हटाने जैसे बड़े फैसले पर पाकिस्तान समेत कुछ और देशों के आंतरिक और बाह्य स्थिति पर नजर रखने की जिम्मेदारी रॉ जैसी खुफिया एजेंसी पर ही है। आर्टिकल 370 हटाने की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान या अन्य देश क्या कर सकते हैं, इस पर रॉ की गहरी नजर बनाए रखनी थी। और इस काम को रॉ के चीफ अनिल धस्माना ने बड़ी सहजता से अंजाम दिया है।