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Video: देवभूमि मे ऐशे दिखाया जाता है भटकती आत्माओं को मुक्ति का मार्ग

यह तो प्रत्येक बुद्धिजीव जानता है कि यदि धरती पर जन्म लिया है तो मृत्यु भी निश्चित है और उसी प्रकार जन्म पश्चात प्रत्येक मनुष्य का अपने जीवन के प्रति कोई ना कोई लक्ष्य होता है ,कई उम्मीद ,कई सपने होते है और उन्हें पूरा करने के लिए मनुष्य हर एक मुमकिन कोशिश भी करता है परंतु यदि यह उम्मीद, लक्ष्य पूरे ना हो अर्थात यदि किसी व्यक्ति की अल्पआयु मृत्यु हो जाए या हत्या हो जाए तो उस व्यक्ति की अपने जीवन हेतु कई आश पीछे छूट जाती है तथा जब तक उसकी उम्मीद व आश पूरी ना हो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है और ऐसी बातें हमारे हिंदू साहित्यों में भी लिखी गई है। कुछ ऐसी ही भटकी आत्माओ को मुक्ति का मार्ग दिखाने हेतु उत्तराखंड में एक उपाय किया जाता है जिसे स्थानिय लोगों द्वारा घड़ियालु नाम दिया गया है घाड़ियालु लगाने वालों को नात कहा जाता है इनके द्वारा घाड़ियालु लगाने हेतु एक निश्चित दिन व समय निर्धारित किया जाता है घाड़ियालु में नात द्वारा पवाडा व जागर बोले जाते है व कांस की थाली व डौरी बजाई जाती है जिससे कि अल्पआयु के मृतक व हत्या के शिकार हुए व्यक्तियों की आत्मा( हनत्या) को बुलाया जाता है।ये आत्मा परिवार के ही किसी सदस्यों के शरीर पर आती है व तत् पश्चात उन आत्माओं (हनत्या) से उनकी इच्छा व माँग पूछी जाती है। मृतक व्यक्ति की आत्मा (हनत्या) परिवार से स्पष्ट रूप से अपनी मौत का कारण बताती है व अपनी माँग अपने घर वालो के समक्ष रखते है। यदि घर वालो द्वारा माँग पूरी कर देने का आश्वासन मिल जाए तो नात द्वारा उस आत्मा (हनत्या) को मुक्ति के मार्ग की और भेज दिया जाता है।

उत्तराखंड को देवभूमि यू ही नहीं कहा जाता है यह आज भी देव्य शक्तियों का वास है यहाँ ऐसी कई शक्तियाँ है जो अन्य जगहों से बिलकुल भिन्न है उत्तराखंड में आज भी घाड़ियालु लगाए जाते है और उत्तराखंडी इस बात से भली भाँति अवगत भी है।

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