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इस बात को जानने के बाद आप कभी जिंदगी में बोतलबंद पानी नहीं पिएंगे !

अकसर हमे बोतल का पानी साफ़ और स्वच्छ लगता है. और हम आराम से इन वाटर बोटल पर भरोसा कर लेते हैं. पर इस खबर को पढने बाद आपके दिमाग की ये उपज जरुर ही समाप्त हो जाएगी. 20 रूपए की पानी की बोतल में भी पानी पीना भी सेफ नहीं है. क्या पाको पता है मिनरल वॉटर के नाम पर हम जो बोतल खरीदते हैं उनमें घुला हुआ प्लास्टिक पाया जाता है. देश में बिस्लेरी, एक्वाफिना, एक्वा, नेस्ले प्योर और ईवियन समेत हर बड़ी कंपनी की पानी की बोतलों में हाल ही में घुला हुआ या महीन प्लास्टिक के कण पाए गए हैं. चौकाने वाली बात आपको अभी भी नहीं पता की  इन बोतलों में पाए जाने वाले प्लास्टिक के कणों यानी माइक्रोप्लास्टिक पार्टिकल की मात्रा नल के पानी में पाए जाने वाले पार्टिकल्स से दोगुनी है.

प्लास्टिक के इन कणों में नाइलॉन, पॉलीथीन टेरेफथेलेट और पॉलीप्रोपीलीन के अंश मिले हैं. ये उस प्लास्टिक में पाए जाते हैं जिनसे बोतलों के ढक्कन बनते हैं. रिसर्चर ने लिखा है कि बॉटलिंग के दौरान कंपनियों की लापरवाही के चलते पानी में ये कण मिल जाते हैं. इस तरह से पानी में घुले महीन प्लास्टिक से कई तरह के कैंसर, स्पर्म काउंट गिरने से लेकर ऑटिज्म जैसे बीमारियों के बढ़ने का खतरा है. साथ ही कहा गया है कि इस मामले में नल का पानी पैकेज्ड पानी से ज्यादा सेफ है.

अमेरिका की स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता शेरी मेसन ने एक रिसर्च की और एक वेबसाइट ने इसे छापा है. ये प्लास्टिक पर काफी काम करता रहा है. रिसर्च में भारत समेत ब्राजील, चाइना, इंडोनेशिया, केन्या, लेबनान, मैक्सिको, थाइलैंड और यूएस में पैकेज्ड वॉटर की क्वालिटी की जांच की गई है. रिसर्च के मुताबिक हर देश के 27 अलग-अलग लॉट से 250 सैंपल उठाए गए और पाया कि इन बड़ी कंपनियों के 93 पर्सेंट सैंपल में प्लास्टिक के कण हैं जो बेहद खतरनाक है.

पिछले दिनों इंटरनेट पर ये बात काफी चर्चा में थी कि विराट कोहली कौन सी कंपनी का पानी पीते हैं. तो पता चला था कि वो फ्रांस की मशहूर कंपनी ईवियन का पैकेज्ड वॉटर लेते हैं. इसकी एक लीटर के पानी की बोतल की कीमत 600 रूपए बताई जाती है. और इस पैक्ड पानी पर भी रिसर्च की गयी तो पता चला की उस कंपनी के पानी में गड़बड़ हैं. तो अब किसी कंपनी पर विश्वास करें और किस पर नहीं. और इस शोध से एक बात तो स्पष्ट है की मंहगा होना सही में सेफ्टी की गारंटी नहीं देता है. दुनिया भर में इस स्टडी के नतीजों से हड़कंप मच गया है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने भी इसका संज्ञान लेते हुए इस रिसर्च का रिव्यू करवाने की बात की है.