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भारत-चीन सीमा पर उत्तराखंड में चार जगह हैं बड़ी खतरनाक, जापान ने इससे निपटने का काम किया शुरू

भारत के चीन से इस समय कैसे सम्बन्ध हैं ये पूरी दुनियां को पता है, अब फिर से गर्मियां आने वाली हैं और विशेषज्ञ मानते हैं कि शायद आने वाले दिनों में एक बार फिर डोकलाम मुद्दा फिर से दोनों देशों के बीच तनाव पैदा करेगा, और अगर पिछले साल की बात की जाए तो चीनी सैनिकों ने उत्तराखंड में भी घुसने की कोशिश की थी| पर अगर आपात स्थित आती है तो भारत के सामने एक बड़ी मुश्किल खडी हो सकती है और वो ये है कि उत्तराखंड में आये दिन भूस्खलन होता रहता है तो अगर भारतीय सेना को अपने जवान और टैंक उत्तराखंड बॉर्डर पर भेजने पड़ गये तो बड़ी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

वहीँ दूसरी ओर भारत के जापान से सम्बन्ध बहुत ही अच्छे हैं और चीन जापान का भी सबसे बड़ा दुश्मन दोस्त है, तो जापान के भी हमेशा कोशिश रहती है कि भारत उसके साथ खड़ा रहे, और जापान भारत के साथ तो इन दिनों उत्तराखंड में  आये दिन होने वाले भूस्खलन और उससे होने वाले गंभीर चुनोतियों पर दोनों मित्र देशों ने चर्चा की, और इसमें ये पाया गया कि एनएच-58 (गढ़वाल) और एनएच-87 एक्सटेंशन (कुमाऊं) इस दृष्टि से संवेदनशील हैं और यहाँ पर चार स्थानों का चयन किया गया है।

अब जापान ने भारत की उत्तराखंड में होने वाले भूस्खलन में मदद के लिए बड़ी जिम्मेदारी ली है और उसकी मदद से इन चार चिन्हित स्थानों को भूस्खलन मुक्त किया जाएगा, ‘जापान तकनीकी सहायता परियोजना’ के अंतर्गत उसके विशेषज्ञों की टीम ने उत्तराखंड में डेरा भी डाल दिया है। इस योजना में जापान भारत की आर्थिक मदद भी करने वाला है जिन चिन्हित चार स्थानों का चयन किया है, उसमें पहले जियोलॉजी अध्ययन, पिछले सालों की बरसात का डाटा, वाटर डिस्चार्ज समेत सभी तरह की सूचनाओं को इकठ्ठा किया जा रहा है। इस तकनीकि के इस्तेमाल के बाद सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि आपात स्थिति में भारतीय सेना और उसके बड़े टैंक आसानी से बॉर्डर तक पहुँच जायेगे।

इस तकनीकियों से जापान करेगा काम:-

क्रिप वर्क तकनीक:- इस तकनीकि में स्टील और कंक्रीट के ब्लॉक बनाकर पूरे भूस्खलन युक्त एरिया को को बांध दिया जाता है और साथ ही चारों तरफ घास, पेड़ व झाड़ी को लगाकर वेजिटेटिव ट्रीटमेंट किया जाता है।

स्टील डैम:- इस तकनीकि में स्टील का ढांचा लगाकर वहीं की मिट्टी, पत्थर भरा जाता है।

चार स्थान जहाँ जापान अपनी विशेषज्ञों की टीम से बनाएगा:-

  1. एनएच-58 (गढ़वाल) पर स्थित नीरगाड़ (नरेंद्र नगर वन प्रभाग प्रभाग)
  2. एनएच-87 एक्सटेंशन (कुमाऊं) पर स्थित पाडली (नैनीताल वन प्रभाग) में भू-स्खलन
  3. एनएच-58 को लिंक करने वाली जवाड़ी प्रथम (रुद्रप्रयाग)
  4. एनएच-58 को लिंक करने वाली जवाड़ी द्वितीय (रुद्रप्रयाग)