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भारत का “सद्दाम हुसैन”, जो 3 साल से राम मंदिर की सफाई कर रहा है..

किसी ने क्या खूब फरमाया- मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना.। लेकिन हमारे देश में हमेशा से ही धर्म और जाति का मुद्दा राजनीति पार्टियों की और से जरूर उठाया जाता है। धर्म के नाम पर अक्सर वोट बैंक की राजनीति की जाती है और लोगों से धर्म के नाम पर वोट मांगे जाते हैं। लेकिन बदलते वक्त के साथ अब हमारा देश भी बदल रहा हैं और कई ऐसे लोग हैं जो कि धर्म से ऊपर इंसानियत को रखते हैं। जहां एक तरफ कई राजनैतिक पार्टियां हिंदू और मुस्लिम समुदाय का मुद्दा उठाकर इन दोनों धर्म के लोगों के बीच एक दीवार खड़ी करने में लगी रहती हैं। वहीं  28 वर्षीय सद्दाम की कहानी धार्मिक एकता की  एक मिसाल इन पार्टियों के सामने पेश करती है। बेंगलुरु के राजाजी नगर इलाके में रहने वाला सद्दाम हुसैन  कहने को तो मुस्लिम है लेकिन ये हर रोज राम मंदिर जाया करता है और इस मंदिर की साफ सफाई किया करता है। राजाजी नगर इलाके में बनें एक राम मंदिर की पूरी साफ सफाई का खासा ध्यान सद्दाम द्वारा रखा जाता है। सद्दाम इस मंदिर को एक पल के लिए भी गंदा नहीं होने देता हैं। मंदिर में आने वाला हर भक्त सद्दाम की खुब तारीफ करता है। भक्तों के अलावा सद्दाम के परिवार वालों को भी अपने बेटे के इस काम पर काफी गर्व है।

सद्दाम हुसैन तीन सालों से राम मंदिर की सफाई कर रहा है और इस मंदिर की देखभाल में लगा हुआ हैं। दरअसल सद्दाम इस मंदिर में काम करने से पहले एक दुकान पर कार्य किया करता था और उस दौरान इनको दुकान के मालिक की और से मंदिर की साफ सफाई की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और सद्दाम ने इस जिम्मेदारी को अपनाते हुए मंदिर की साफ सफाई करना शुरू कर दी। वेंकटेश बाबू जिनकी दुकान में सद्दान काम किया करता है। उनके अनुसार राम मंदिर की कमेटी के लिए जब इन्हें चुना गया तो इन्होंने सद्दाम  को मंदिर की साफ-सफाई की जिम्मेदारी दे दी और सद्दाम ने इस जिम्मेदारी की बखूबी से निभाया।

सद्दाम हर साल राम नवमी के अवसर पर सुबह सबसे पहले मंदिर आते हैं और फिर मंदिर की साफ सफाई किया करते हैं। ताकि जब लोग इस पर्व पर मंदिर में आकर राम भगवान के दर्शन करें तो उनको मंदिर एकदम साफ मिले। वहीं जब सद्दाम से ये पूछा गया कि वो क्यों मंदिर की सफाई किया करते हैं तो उसपर इनका कहना था कि ऐसा करने से इन्हें मानसिक शांति मिलती है और मंदिर की सफाई करना इन्हें अच्छा लगता है। सद्दाम के अनुसार ये मंदिर की साफ-सफाई किया करते हैं इस चीज का  विरोध कभी भी किसी व्यक्ति ने नहीं किया है। सद्दाम की इस कहानी से साफ पता चलता है कि किस तरह से बेंगलुरु के राजाजी नगर इलाके में रहने वाले लोगों की सोच धर्म से ऊपर है और इस जगह में रहने वाले हिंदू और मुस्लिम लोगों के बीच कितना प्रेम और भाईचारा है।


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